Milk Price Hike 2025: 3 नई कीमतें और 7 कदम जो आपको जरूर जानने चाहिए

Published On: August 19, 2025
Milk Price Hike 2025

दूध का उपयोग लगभग हर घर में नियमित रूप से होता है। यह पोषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए आवश्यक है। लेकिन हाल ही में देशभर में दूध की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिसने आम उपभोक्ताओं की जेब पर असर डाला है। इस लेख में हम दूध की नई कीमतें, उनकी वजहें, और सरकार तथा कंपनियों द्वारा लागू की गई नीतियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

मई 2025 से देश में प्रमुख दूध कंपनियों अमूल और मदर डेयरी ने दूध की कीमतों में प्रति लीटर 2 रुपये की बढ़ोतरी की घोषणा की है। यह पहली बार है जब जून 2024 के बाद दूध की कीमतों में इतनी बढ़ोतरी हुई है। कीमतों में यह वृद्धि उत्पादक किसानों की बढ़ती आय और उत्पादन लागत को ध्यान में रखते हुए की गई है। अमूल सहित कई दूध उत्पादक संघों ने पिछले साल किसानों को बेहतर दाम देने के लिए कदम उठाए हैं, जिसके चलते उपभोक्ताओं को बढ़ी कीमतों का सामना करना पड़ रहा है।

Milk Price Hike 2025

1 मई 2025 से अमूल ने अपने दूध के दाम 2 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा दिए हैं। यह बढ़ोतरी दोनों ब्रांडों अमूल और मदर डेयरी पर लागू होगी, जो देशभर में अपनी दूध उत्पाद बेचती हैं। उदाहरण के तौर पर, अब अमूल का 500 मिलीलीटर वाला गोल्ड दूध लगभग 31 रुपये में मिलेगा, जबकि 1 लीटर का पैकेट 63 से 65 रुपये के बीच मिलेगा। इसी तरह, मदर डेयरी के दूध के दाम भी लगभग इतने ही बढ़ाए गए हैं।

मदर डेयरी ने भी दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड जैसे बाजारों में दूध की कीमतों को 2 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा दिया है। उनके टोंड दूध की कीमत 54 रुपये से बढ़कर 56 रुपये प्रति लीटर हो गई है। फुल क्रीम दूध का दाम 68 रुपये से बढ़कर 69 रुपये हो गया है।

कीमत बढ़ने के पीछे की वजहें

दूध की कीमतों में यह वृद्धि मुख्यतः दूध उत्पादन की बढ़ती लागत के कारण हो रही है। गर्मी के मौसम की शुरुआत और तेज़ गर्मी के कारण दूध उत्पादन पर असर पड़ा है जिससे दूध की आपूर्ति कम हुई है। साथ ही, दूध बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले चारे, बिजली और अन्य आवश्यक सामग्री की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है।

अमूल के मुताबिक, दूध उत्पादकों की संख्या लगभग 36 लाख है, जिन्हें बेहतर भुगतान देने के लिए लागत बढ़ानी पड़ रही है। कंपनियां यह सुनिश्चित करती हैं कि दूध की बिक्री से लगभग 80 प्रतिशत राशि सीधे फैक्टर फार्मर्स को जाए, इसलिए उपभोक्ताओं की तरफ से बढ़ी कीमत का एक बड़ा हिस्सा किसानों को ही मिलता है।

सरकार और अन्य संस्थानों की भूमिका

सरकार ने भी दूध और डेयरी उत्पादों के क्षेत्र में कई योजनाएं शुरू की हैं। विशेषकर छोटे किसानों, दूध उत्पादकों और पशुपालकों को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न योजनाएं चल रही हैं। इनमें दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए चारा उपलब्धता, स्वास्थ्य सुविधाएं, और बेहतर कीमतों की गारंटी शामिल है।

कुछ राज्यों जैसे कर्नाटक ने हाल ही में दूध की कीमत में 4 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है, ताकि किसानों को बेहतर लाभ मिले। दूध की लागत में बढ़ोतरी का लाभ सीधे किसानों को दिया जाना राज्य सरकारों द्वारा एक पहल है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़े।

सरकार की ये योजनाएं दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ दूध की गुणवत्ता में सुधार लाने पर भी केंद्रित हैं। साथ ही, उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत देने के लिए कुछ राज्यों में दूध का मुनाफा कम रखने का प्रयास भी होता रहा है।

दूध की कीमतों में वृद्धि का आम जनजीवन पर प्रभाव

दूध, जो रोजमर्रा के खाने-पीने की चीजों में से एक है, उनके दाम बढ़ने से हर परिवार के बजट पर असर पड़ता है। खासकर छोटे परिवार, कर्मचारी वर्ग और मध्यम आय वर्ग वाले लोगों को इसका सीधा असर महसूस होता है। दूध के बढ़े हुए दामों के बाद परिवारों को अपने खर्चों पर पुनर्विचार करना पड़ता है।

इसके साथ ही, दूध के साथ जुड़े अन्य डेयरी उत्पाद जैसे दही, मलाई, पनीर आदि के दामों में भी वृद्धि के संकेत मिलते हैं, जो पूरे खाद्य क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं।

सरकार की योजनाएं और दूध उत्पादन को बढ़ावा

सरकार ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और विभिन्न राज्य डेयरी विकास योजनाओं के जरिए दूध उत्पादन बढ़ाने, किसानों को प्रशिक्षण देने, पशुपालकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का काम तेज कर दिया है। इन पहलुओं से दूध उत्पादन को स्थिर और गुणवत्तापूर्ण बनाए रखना संभव होगा।

योजना के तहत किसानों को बेहतर चारा, स्वस्थ पशु पालने के तरीके, और पशु बीमा की सुविधा दी जाती है। इससे किसानों को लागत कम करने और उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है। साथ ही, सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नीति दूध किसानों के लिए फायदेशील साबित होती है।

निष्कर्ष

देश में दूध की कीमतों में हालिया वृद्धि उत्पादन लागत, गर्मी की वजह से दूध पर पड़ने वाले प्रभाव तथा किसानों को बेहतर भुगतान देने की योजना का परिणाम है। सरकार तथा दूध कंपनियां दोनों ही किसानों और उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखते हुए संतुलन बनाने का प्रयास कर रही हैं। उपभोक्ताओं को इस बदलाव के साथ तालमेल बैठाना होगा, जबकि किसानों के लिए यह बेहतर आय का मौका भी है।

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