बीते कुछ दिनों में सोना-चांदी की कीमतों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जिसने निवेशकों और खरीदारी की सोच रखने वाले लोगों को चौंका दिया है। हाल ही में भारत के अलग-अलग शहरों में सोने की कीमतें हजारों रुपये कम हो गईं। इस गिरावट के कारण बाजार में हलचल है और जानना जरूरी है, आखिर ऐसा क्यों हुआ और आगे क्या उम्मीद की जा सकती है।
सोने के अलावा चांदी की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव नजर आया। मानते हैं कि त्योहारों की सीजन में आमतौर पर दाम बढ़ जाते हैं, लेकिन इस बार कुछ अलग ही देखने को मिला। आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय कारणों के चलते लोगों की सोच बदल गई है। इसी के साथ सरकार द्वारा पेश की गई कुछ स्कीम्स भी आम लोगों को समझना जरूरी है, जिससे वे इन उतार-चढ़ाव की स्थिति में सही निर्णय ले सकें।
Gold Silver Rates Today 2025
12 अगस्त 2025 को भारतीय बाज़ार में 24 कैरेट सोना का रेट ₹99,549 प्रति 10 ग्राम तक आ गया है, जबकि 22 कैरेट का सोना ₹91,187 प्रति 10 ग्राम पर बिक रहा है। बीते 24 घंटों में करीब ₹8,000 प्रति 10 ग्राम की गिरावट दर्ज हुई है। 18 कैरेट सोना ₹74,662 और 14 कैरेट सोना ₹58,236 के करीब है। इससे साफ है कि सोने की कीमत कई दिनों के उच्चतम स्तर से हजारों रुपये नीचे आ गई है।
चांदी की बात करें तो इसका भाव लगभग ₹1,15,000 प्रति किलोग्राम दर्ज हुआ। बीते एक-दो दिनों में चांदी के रेट में भी गिरावट आई है, जहां पहले यह थोड़ा और ऊपर कारोबार कर रही थी। रायपुर, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई सहित अन्य राज्यों में भी यही ट्रेंड देखा गया है। गिरावट के बड़े कारण विदेशी बाज़ारों में तनाव, डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी और ब्याज दरों में बदलावों की संभावना को माना जा रहा है।
सोने-चांदी के ट्रेड में बड़े निवेशकों के अलावा आम जनता भी काफी सक्रिय है। इसलिए जब दाम गिरते हैं, तो बाजार में बेचैनी बढ़ जाती है। त्योहार एवं शादियों के मौसम को देखते हुए आम तौर पर रेट में तेजी देखने को मिलती है, मगर हाल के आर्थिक हलचलों के चलते कीमतें गिर गईं।
सोना-चांदी पर सरकार की मुख्य स्कीम्स
सरकार ने सोने और चांदी में निवेश को आसान और सुरक्षित बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिससे आम जनता अपने पैसे का सही इस्तेमाल कर सके। सबसे चर्चित योजनाएं इस प्रकार हैं:
1. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम:
यह योजना नवंबर 2015 में शुरू की गई थी। इसमें निवेशक शारीरिक रूप में सोना नहीं खरीदते, बल्कि सरकार द्वारा जारी किए गए बॉंड के माध्यम से सोने में निवेश करते हैं। इसकी अवधि 8 साल है और 5वें साल से एक्जिट ऑप्शन मिलता है। यहां निवेश पर ब्याज भी मिलता है और जरूरत पड़ने पर गिरवी भी रखा जा सकता है।
2. गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम (GMS):
ये स्कीम साल 2015 में आई थी, ताकि आम जनता के पास घरों में पड़े सोने को मार्केट में लाया जा सके। इसमें आप अपना शारीरिक सोना बैंक में जमा कर सकते हैं और उसपर आपको ब्याज मिलता है। इससे देश की सोना आयात पर निर्भरता भी कम होती है।
3. गोल्ड कॉइन एंड बुलियन स्कीम:
सरकार अशोक चक्र वाली गोल्ड कॉइन भी जारी करती है, जो पूरी तरह ऑथेंटिक होती हैं। इनका इस्तेमाल निवेश या गिफ्टिंग के लिए किया जा सकता है।
इन योजनाओं का बड़ा फायदा है कि ये सुरक्षित हैं, साथ ही निवेशकों को सीधे तौर पर फिजिकल सोना रखने की परेशानी नहीं होती।
दामों की गिरावट के पीछे के कारण
सोने-चांदी की कीमतों में आई गिरावट के पीछे कई वजहें हैं:
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी।
- अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की ब्याज दरों में कटौती को लेकर सतर्कता।
- केंद्रीय बैंक की तरफ से सोने की भारी खरीद।
- जियो-पॉलिटिकल तनाव और वैश्विक मार्केट में अनिश्चितता।
अगर इन स्थितियों में सुधार होता है, तो आंशिक रिकवरी की भी उम्मीद बाजार में है।
आम लोगों के लिए क्या करें?
अगर आप निवेश की सोच रहे हैं, तो फिजिकल गोल्ड खरीदने की जगह सरकार की स्कीम्स जैसे सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में निवेश करें। इससे आपको ब्याज भी मिलेगा और रिस्क भी कम रहेगा। साथ ही कीमतों में गिरावट आने पर तुरंत बेचने की जगह थोड़ा इंतजार करना फायदेमंद साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
फिलहाल सोना-चांदी की कीमतों में जो बड़ी गिरावट आई है, वो बाजार की बदलती दुनिया का परिणाम है। निवेश करने वालों को सरकार की पेश की गई योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए और जल्दबाजी में अपने सोने-चांदी को न बेचें। बाजार में स्थिरता लौटने पर दाम फिर से बढ़ सकते हैं, इसलिए सोच-समझकर ही कोई फैसला लें।