सरकार समय-समय पर जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया में बदलाव करती रहती है ताकि खरीदार और विक्रेता दोनों के हितों की सुरक्षा हो सके। हाल ही में जमीन की रजिस्ट्री के नियमों में एक बड़ा बदलाव हुआ है, जिससे उन लोगों को सतर्क रहना जरूरी है जो घर या जमीन खरीदने की योजना बना रहे हैं। नए नियम के तहत अब खरीदी हुई जमीन की रजिस्ट्री सीधे तरीके से कैंसिल हो सकती है, जिसके बारे में जानकर आपको संपत्ति की खरीद-फरोख्त में अधिक सावधानी बरतनी होगी।
बदल गए नियम के तहत सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री को लेकर पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य था फर्जीवाड़ा रोकना, संपत्ति विवादों का समाधान करना और गलत तरीके से खरीदी गई जमीन की रजिस्ट्री को अमान्य घोषित करना। अब हर खरीददार को रजिस्ट्री की प्रक्रिया में नए पैमाने पूरे करने होंगे, ताकि उसके हक की पूरी गारंटी मिल सके।
यह बदलाव नई सरकारी योजना के तहत किए गए हैं, जिसमें यह व्यवस्था की गई है कि यदि किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी, दस्तावेजों में गलती या गलत पहचान के आधार पर जमीन खरीदी गई है, तो उसकी रजिस्ट्री तत्काल रद्द हो सकती है। इससे पिछले कुछ वर्षों में जमीन की रजिस्ट्री में पाए गए झूठे दस्तावेज और फर्जी पहचान की घटनाओं पर लगाम लगाने का प्रयास किया गया है।
Property Registry New Rules 2025
नए नियमों के मुताबिक, जमीन की रजिस्ट्री करते समय खरीदार और विक्रेता दोनों को पहचान और दस्तावेज प्रमाणित करवाना अनिवार्य किया गया है। इसके लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, परिवार का पहचान पत्र और अन्य सरकारी दस्तावेजों की जांच होती है। अगर इनमें कोई दस्तावेज मिलावटी या फर्जी पाए जाते हैं, तो संपत्ति की रजिस्ट्री अपने आप कैंसिल हो जाती है और पूरा लेन-देन रुक जाता है।
अब रजिस्ट्री के समय जमीन के असली मालिक की पहचान और जमीन का असली रिकॉर्ड ऑनलाइन पोर्टल पर चेक करना जरूरी है। सरकार ने यह व्यवस्था दी है कि खरीदार या विक्रेता को अपने सभी दस्तावेज पहले ही ऑफिस में दिखाने होंगे। वकील और संपत्ति अधिकारी इन दस्तावेजों का मिलान करेंगे और कन्फर्म होने के बाद ही रजिस्ट्री को मंजूरी देंगे।
रजिस्ट्री के दौरान सरकारी पोर्टल पर संपत्ति की असलियत और पते का सत्यापन भी जरूरी हो गया है। यदि खरीदी गई जमीन का रिकॉर्ड दूसरे किसी व्यक्ति के नाम पर निकलता है, या पुराने विवाद का मामला है, तो वह रजिस्ट्री तुरंत कैंसिल मानी जाएगी। इस नियम से नकली दस्तावेज के आधार पर खरीद-फरोख्त करने वालों को बड़ी परेशानी हो सकती है।
सरकार द्वारा दी गई सुविधाएं और सुरक्षा
इस नई स्कीम के तहत सरकार ने ऑनलाइन वेरिफिकेशन सिस्टम शुरू किया है। अब राज्य सरकारें जमीन की रजिस्ट्री के लिए डिजिटलीकरण कर रही हैं, जिससे भूमि मालिक और खरीदार दोनों की पहचान ऑनलाइन मिलाई जा सके। इससे सभी दस्तावेजों के रिकॉर्ड एक जगह उपलब्ध हो जाएंगे और धोखाधड़ी की संभावना बेहद कम हो जाएगी।
हर जिले में रजिस्ट्री ऑफिस में खास जांच टीम बनाई गई है, जो हर रजिस्ट्री के वक्त दस्तावेजों का सख्त मिलान करती है। यदि शिकायत मिलती है या किसी दस्तावेज में गड़बड़ी पाई जाती है, तो जांच टीम पूरी प्रक्रिया रोक सकती है और पुलिस में मामला भी दर्ज किया जा सकता है। इससे आम नागरिकों की जमीन पर कानूनी हक सुरक्षित रहेगा।
सरकारी योजना में सभी रजिस्ट्री रिकॉर्ड को बेसुध रूप से सहेजा गया है, जिससे भविष्य में कभी भी रजिस्ट्री के दस्तावेजों को दोबारा जांचा जा सके। इससे किसी भी संपत्ति पर गलत रजिस्ट्री या फर्जी दस्तावेज के मामले उजागर हो सकेंगे।
जमीन की रजिस्ट्री कैंसिल कैसे होगी?
अगर खरीदार या विक्रेता द्वारा जमा किए गए किसी दस्तावेज में फर्जीवाड़ा मिलता है, या भूमि पर मौजूदा विवाद का रिकॉर्ड मिलता है, तो रजिस्ट्री प्रक्रिया रोक दी जाती है। अधिकारी अंतिम वेरिफिकेशन के बाद कैंसिलेशन की प्रक्रिया शुरू करते हैं। इससे खरीदी गई जमीन की वैधता खत्म हो जाती है और उक्त व्यक्ति असली मालिक नहीं माना जाता।
रजिस्ट्री कैंसिल होने के बाद खरीदार को जमीन की भुगतान राशि वापस नहीं मिलती है। इसलिए नई प्रक्रिया में सभी खरीदारों को सलाह दी जाती है कि वह जमीन खरीदने से पहले सभी दस्तावेजों की पुष्टि सरकारी पोर्टल या रजिस्ट्री ऑफिस में जरूर कर लें। अगर किसी तरह का संदेह है तो वकील की सलाह लें और जांच पूरी होने के बाद ही आगे बढ़ें।
इस नए नियम का मकसद
सरकार ने यह नियम नकली दस्तावेजों, फर्जी पहचान और विवादित संपत्ति पर रोक लगाने के लिए लागू किया है। इससे आम नागरिकों को सुरक्षित और पारदर्शी जमीन की खरीद-फरोख्त सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। जमीन की रजिस्ट्री अब पहले से ज्यादा सुरक्षित और विश्वसनीय हो गई है।
निष्कर्ष
जमीन खरीदते वक्त नए नियमों के अनुसार दस्तावेजों की पूरी जांच कराना जरूरी है। सरकार के इस कदम से फर्जी रजिस्ट्री और विवादित संपत्ति के मामलों में काफी हद तक नियंत्रण मिलेगा। नए डिजिटल सिस्टम और सख्त नियमों के चलते हर खरीदार अपने अधिकार के प्रति ज्यादा सतर्क रह सकता है और भविष्य में किसी तरह की परेशानी से बच सकता है।