मजदूरों के लिए राहत! नई न्यूनतम मजदूरी दर लागू – अब इतने रुपये मिलेंगे Labour Minimum Wages 2025

Published On: August 6, 2025
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मजदूरों के लिए बड़ी राहत! केन्द्र व राज्य सरकारों ने न्यूनतम मजदूरी दर बढ़ाकर लाखों श्रमिकों को बढ़ती महंगाई से कुछ राहत पहुँचाई है। 2025 में देशभर में नई मजदूरी दरें लागू की जा चुकी हैं जिनका सीधा लाभ निर्माण स्थल, फैक्ट्री, दुकान और घरेलू कार्यों में लगे श्रमिकों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा (MGNREGS) के तहत काम करने वाले मज़दूरों को भी मिलेगा।

आमतौर पर बढ़ती महंगाई और जीवन-यापन की लागत ने मजदूर वर्ग पर बोझ बढ़ा दिया था। इसी को देखते हुए सरकार ने न्यूनतम वेतन दरों में वृद्धि का फैसला किया, जिससे मजदूरों की आमदनी बढ़े और उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके। न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के तहत केंद्र व राज्य सरकारें समय-समय पर वेतन का निर्धारण करती हैं और श्रमिकों को अधिकार देती हैं कि यदि उन्हें तय वेतन से कम मिलता है, तो वे शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

नई न्यूनतम मजदूरी दरें: क्या है मुख्य बातें

दिल्ली सरकार की घोषणा के अनुसार, सभी श्रेणियों के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी को बढ़ा दिया गया है, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू हो गई है। अब दिल्ली में अकुशल श्रमिकों को 18,456 रुपये प्रति माह मिलेंगे, जबकि पहले यह राशि 18,066 रुपये थी। अर्ध-कुशल (सेमी-स्किल्ड) श्रमिकों का वेतन 19,929 रुपये से बढ़कर 20,371 रुपये प्रतिमाह हुआ है। कुशल (स्किल्ड) मजदूरों की वेतन राशि 21,917 रुपये से बढ़कर 22,411 रुपये प्रतिमाह हो गई है।

जिन श्रमिकों ने मैट्रिक तो पास कर लिया है, लेकिन स्नातक नहीं हैं, उन्हें भी बढ़ी हुई दरों का फायदा मिलेगा—उनका मासिक वेतन 22,411 रुपये निर्धारित है। स्नातक या उससे अधिक योग्यता वाले मजदूरों को अब 24,356 रुपये प्रतिमाह मिलेंगे, जो कि पहले 23,836 रुपये था.

दिल्ली के अलावा केंद्र सरकार ने भी पूरे देश में न्यूनतम मजदूरी दरों में वृद्धि की है, खासकर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए—जैसे लोडिंग, अनलोडिंग, झाड़ू, सफाई आदि। केंद्र की नई दरें 1 अक्टूबर 2024 से लागू की गईं। इसमें क्षेत्र ‘ए’ के अकुशल श्रमिकों को 783 रुपये प्रतिदिन (20,358 रुपये प्रति माह), अर्द्ध-कुशल को 868 रुपये प्रतिदिन (22,568 रुपये प्रतिमाह), कुशल श्रमिक, लिपिक एवं शस्त्र रहित चौकीदार को 954 रुपये प्रतिदिन (24,804 रुपये प्रतिमाह) और उच्च कुशल व शस्त्र सहित चौकीदार को 1035 रुपये प्रतिदिन (26,910 रुपये प्रतिमाह) मिलेंगे.

किस योजना के तहत मिल रही है राहत

ग्रामीण क्षेत्र के श्रमिकों के लिए मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत भी मजदूरी दरों में वृद्धि की गई है। यहां हर साल श्रमिकों के लिए निर्धारित मजदूरी दरों में 2.33% से 7.48% तक बढ़ोतरी हुई है। उदाहरण स्वरूप, हरियाणा में NREGS मजदूरी अब 400 रुपये प्रतिदिन हो गई है, जबकि देश भर के अन्य राज्यों में यह दर राज्य के हिसाब से अलग-अलग है। मनरेगा के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कम-से-कम 100 दिन का रोजगार हर वित्तीय वर्ष में गारंटी के साथ दिया जाता है.

नई दरों का निर्धारण सीपीआई-एएल (कृषि श्रमिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) के आधार पर किया गया है, जिससे मजदूरों की मजदूरी मौजूदा महंगाई से मेल खाए। सरकारें हर साल दो बार—1 अप्रैल और 1 अक्टूबर से—महंगाई भत्ते (VDA) के आधार पर मजदूरी दरों को संशोधित करती हैं। इन सभी निर्णयों का लक्ष्य श्रमिकों की आय में इजाफा करके उनका सामाजिक और आर्थिक जीवन स्तर सुधारना है.

अगर न्यूनतम मजदूरी नहीं मिल रही तो क्या करें?

यदि कोई श्रमिक तय की गई न्यूनतम मजदूरी दर से कम वेतन पाता है, तो वह संबंधित जिले के श्रम आयुक्त या संयुक्त श्रम आयुक्त के पास शिकायत कर सकता है। श्रम विभाग न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 के तहत कार्रवाई करने का अधिकार रखता है और श्रमिक की समस्या हल करने हेतु योजना बनाता है। इस प्रकार श्रमिकों को उनके अधिकारों और वैध वेतन का लाभ सुनिश्चित किया जा रहा है.

निष्कर्ष

नए वेतनमान मजदूरों के लिए वित्तीय राहत लेकर आए हैं। इससे न केवल उनकी कमाई बढ़ेगी, बल्कि महंगाई में भी कुछ राहत मिलेगी। केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा समय-समय पर मजदूरी दरें बढ़ाना मजदूर वर्ग के हित को संरक्षित करता है और उनके बेहतर भविष्य का आधार बनता है।

Chetna Tiwari

Chetna Tiwari is an experienced writer specializing in government jobs, government schemes, and general education. She holds a Master's degree in Media & Communication and an MBA from a reputed college based in India.

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